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आप भी तो नहीं ओवरथिंकर! जानलेवा है ज्यादा सोचना

किसी बात को सोचने की आदत, जब इतनी अधिक बढ़ जाए कि आप उसी में दिनरात खोए रहें, तो उसे ओवरथिंकिंग कहते हैं। इसे मानसिक बीमारी की कैटेगरी में रखा जाता है।

ओवरथिंकिंग जब हद से ज्यादा बढ़ जाए तो इससे मानसिक व शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। चेतना मंच के जरिए जानते हैं कि क्या हैं ओवरथिंकिंग के लक्षण और क्या हैं इससे बचने के उपाय.

अक्सर कोई बात हमें इतना प्रभावित करती है कि हम उसके बारे में ज्यादा सोचने लगते हैं। इतना ज्यादा सोचने लगते हैं कि उसके कारण हमें थकान होने लगती है, हमारा मन बोझिल हो जाता है, खुद में कमी महसूस होने लगती है, किसी भी निर्णय में कठिनाई आने लगती है। अंत में वह हमारे लिए तनाव का कारण बन जाती है। ये ओवरथिंकिंग आपके लिए एक समस्या बन जाती है। यह आपको मानसिक रूप से बीमार कर सकती है, जो कि आपके लिए इतनी खतरनाक है कि जानलेवा भी बन सकती है। दरअसल, चिंताएं, परेशानियां, तनाव हर किसी की जिंदगी में होती है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप किसी एक बात को लेकर बैठे रहें, सोचते रहें और खुद को बीमार कर लें। चिंता करने की यही आदत ही आगे चलकर ओवरथिंकिंग में बदल जाती है और आप बन जाते हैं ओवरथिंकर।

क्या होती है ओवरथिंकिंग

किसी बात को सोचने की आदत, जब इतनी अधिक बढ़ जाए कि आप उसी में दिनरात खोए रहें, तो उसे ओवरथिंकिंग कहते हैं। इसे मानसिक बीमारी की कैटेगरी में रखा जाता है। जब कोई व्यक्ति छोटी सी बात को भी लंबे समय तक सोचने लगे तो यह ओवरथिंकिंग कहलाती है। किसी भी काम को करने या फैसला लेने से पहले लोग सोचते हैं, जो सही भी है, यह इंसान का नेचुरल स्वभाव है, लेकिन जब यह स्वभाव हद से ज्यादा बढ़ जाए तो ओवरथिंकिंग कहलाती है।

Over Thinking
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क्यों होती है ओवरथिंकिंग

ओवरथिंकिंग का सबसे अहम कारण एंग्जाइटी है। हम परेशान हैं क्योंकि हम ज्यादा सोच रहे हैं। चिंता और ओवरथिंकिंग एक साथ मिलकर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। जब हमारा खुद पर कंट्रोल नहीं रहता तो ओवरथिंकिंग की आदत लग जाती है। अधिक सोचने से हमारे विचारों और मन पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर आप उन उन चीजों के बारे में ज्यादा सोचेंगे जिनपर पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है तो फिर आप ओवरथिंकिंग के शिकार हैं। हालांकि कई बार ज्यादा सोचना किसी की पर्सनैलिटी का हिस्सा हो सकता है। चिंता करने की आदत ही आगे चलकर ओवरथिंकिंग में बदल जाती है। ओवरथिंकिंग स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन का लक्षण हो सकता है। ओवरथिंकिंग मेंटल डिसऑर्डर नहीं है। ओवरथिंकिंग को कम करने के लिए या दिमाग को भटकाने के लिए आप कुछ पसंदीदा काम करें।

हम कैसे बनते हैं ओवरथिंकर

जब कोई इंसान परेशान होता है तब बहुत ज्यादा सोचता है। यह चिंता और तनाव किसी भी वजह से हो सकती है। कोई अपनी नौकरी को लेकर परेशान है, तो कोई बीमारी को लेकर। हमारे आस-पास ऐसे कई लोग मिल जाएंगे। चिंताएं, परेशानियां, तनाव हर किसी की जिंदगी में होती है। ऐसे में तनाव में रहने वाला इंसान जब अकेले में होता है तो ज्यादा सोचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। हमारे दिमाग पर अच्छी घटनाओं से ज्यादा असर बुरी घटनाओं का पड़ता है। इसलिए जब भी हमारे साथ कोई बुरी घटना होती है तो दिमाग ज्यादा एक्टिव हो जाता है और वो बात लंबे समय के लिए हमारी सोच का हिस्सा बन जाती है और हम ओवरथिंकर बन जाते हैं। इस वजह से न नींद आती है, न भूख लगती है और न ही किसी काम में मन लगता है।

जानलेवा बन सकती है ये आदत

ओवरथिंकिंग कोई ऐसी चीज नहीं है जो हम इसलिए करते हैं क्योंकि हम ऐसा करना चाहते हैं। ये ऐसी चीज है जिसपर हमारा कंट्रोल नहीं है। हम इसे रोक नहीं सकते हैं। हमारा मन हमेशा निगेटिव चीजों की तरफ पहले आकर्षित होता है जो हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम कोई बात इतना ज्यादा क्यों सोचते हैं? हम हर छोटी से छोटी बात पर खुद को ज्यादा सोचने के कैसे मजबूर कर लेते हैं। ओवरथिंकिंग जब हद से ज्यादा बढ़ जाए तो इससे मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। ये आदत जब हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो आपकी रातों की नींद प्रभावित होने लगती है। नींद पूरी न होने पर कई तरह की बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं, जिसका असर हमारी सेहत पर पड़ता है। नींद पूरी न होने पर इंसान डिप्रेशन में चला जाता है और यही चीज जानलेवा साबित होता है।

Over Thinking
Over Thinking

ओवरथिंकर्स के कुछ सामान्य लक्षण

▪ दिमाग में बार-बार शर्मिंदा करने वाले पलों का याद आना।
▪ सोने में परेशानी होना क्योंकि लगता है कि दिमाग बंद नहीं होगा।
▪ खुद से बार-बार सवाल पूछना जैसे, ये होगा तो क्या होगा?
▪ बीती बातों या घटनाओं में छिपे अर्थ को तलाशने में ढेर सारा समय खर्च करना।
▪ लोगों से कही गई पुरानी बातों के बारे में सोचना।
▪ ये सोचना कि काश ये न किया होता या काश ये न कहा होता।
▪ अपनी गलतियों के बारे में लगातार सोचते रहना।
▪ किसी की कही गई बात को दिमाग में लगातार लेकर घूमते रहना।
▪ आसपास की बातों से बेखबर होकर उधेड़-बुन में लगे रहना।
▪ बीते कल या आने वाले कल की चिंता को लेकर बहुत ज्यादा सोचना।
▪ ऐसी बातों के बारे में सोचना जिन पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है।
▪ अपनी परेशानियों और चिंताओं को मन से निकाल नहीं पाना।
▪ निर्णय लेते वक्त भ्रमित रहना
▪ क्रोध एवं तनाव में रहना
▪ दूसरों के दृष्टिकोण को न समझना
▪ अकेलापन अच्छा लगना
▪ बार-बार विचारों को दोहराना
▪ ध्यान केंद्रित रखने में कठिनाई होना

इससे कैसे बचा जाए

▪ जब हों खाली, तो किसी को कॉल कर लें
▪ अति महत्वाकांक्षा से बचें
▪ अपनी पसंद का म्यूजिक सुनें
▪ अच्छी नींद लें
▪ योग, वॉक, मेडिटेशन, एक्सरसाइज करें
▪ न सोचें कि ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है
▪ निगेटिव विचारों को लिखें, फेंक दें
▪ दूसरों से तुलना न करें
▪ खुद को डिस्ट्रेक्ट करने की कोशिश
▪ जब परेशान हों तो गहरी सांस लें
▪ अपने ट्रिगर प्वाइंट को समझें
▪ पर्फेक्शनिज्म पर ध्यान देना कम कर दें

ये सवाल बताएंगे, आप ओवरथिंकर हैं या नहीं

▪ क्या आप छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत देर तक सोचते हैं? जैसे, कल बॉस ने मुझसे ठीक से बात क्यों नहीं की या मेरा कलीग मुझसे नाराज था क्या? मेरी पत्नी या पति ने मुझे उलटा जवाब क्यों दिया?
▪ कई बार दूसरे के हिस्से का भी खुद ही सोचते हैं? मसलन, किसी दोस्त ने या फिर किसी संबंधी ने मेरे बारे में क्या कहा होगा?
▪ वर्तमान के बारे में बहुत कम, भविष्य के बारे में ज्यादा और अतीत के बारे में बहुत ज्यादा सोचते हैं?
▪ कल्पना करते हुए बार-बार यह सोचना कि अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा?
▪ अपने बीते दिनों के बारे में यह सोचते हैं कि काश यह न किया होता तो अच्छा होता यानी खुद पर बार-बार पछतावा होता है?
▪ किसी की कोई बात बार-बार दिमाग में आना। किसी शख्स ने मजाक में कोई बात बोल दी, फिर भी क्या उसके बारे में सोचते रहते हैं?
▪ दिमाग में किसी बात को लेकर खुद को बार-बार शर्मिंदा महसूस करते हैं? अतीत की किसी घटना को लेकर शर्मिंदा महसूस करते हैं?
▪ उन चीजों के बारे में क्या ज्यादा सोचते हैं जिन घटनाओं पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है? जैसे, फिर से लॉकडाउन आया तो हम क्या करेंगे? अगर लड़ाई हो गई तो हम कहां जाएंगे? अगर मंदी आई और जॉब चली गई तो क्या करेंगे आदि?

ऊपर सवालों अधिक जवाब ’’हां’’ में होने की वजह से गहरी नींद न आना, लगातार 6 से 8 घंटे की नींद पूरी न होना, सुबह उठने पर बहुत ज्यादा थकान महसूस होना, शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होना, चिड़चिड़ापन होना, बिना मतलब परिवार या फिर ऑफिस में गुस्सा करना, अपने काम में बार-बार गलतियां करना, जैसी समस्याएं हैं? अगर हां तो फिर आप ओवरथिंकिंग से परेशान हैं और आपको इससे बाहर आने की जरूरत है। इसके लिए आप अपने किसी करीबी से बातें शेयर करना शरू करें। किसी चिकित्सक की सलाह लें। अन्यथा ये आपको डिप्रेशन के रास्ते पर ले जाएगी, जो कि आपकी सेहत के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।

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